हेलो छोटे बच्चों, आज हम आपके लिए बहुत ही मज़ेदार कहानियाँ (Hindi Short Stories For Class 1) लेकर आए हैं जो विशेष रूप से आपके लिए तैयार की गयी है।
ये मंत्रमुग्ध कर देने वाली कहानियाँ निश्चित रूप से आपकी कल्पनाशक्ति को जगा देंगी और इन्हे पढ़ने में आपको बहुत आनंद आएगा । कहानी में आगे बढ़ने से पहले कृपया हमारे push notification को subscribe करना न भूले, जिससे आगे भी आपको नयी और रोचक कहानियां मिलती रहगी। तो चलिए अब 1st class के बच्चो की कहानियां शुरू करते है।
Table of Contents
Best Hindi Short Stories for Class 1 Kids
बंदर और बिल्ली की कहानी (Hindi Story for Class 1)
एक बार की बात है, घने जंगल में एक शरारती बंदर और चतुर बिल्ली रहती थीं। बंदर अपने चंचल स्वभाव के लिए जाना जाता था, जबकि बिल्ली अपनी चतुराई के लिए जानी जाती थीं।
एक दिन, बंदर की नज़र एक स्वादिष्ट केले के पेड़ पर पड़ी और उसका मन करा की काश मैं उन केलो को खा पाता। उस केले के पेड़ की रखवाली एक भयंकर और क्रोधी शेर कर रहा है। बन्दर को डर लग रहा था की अगर मैं उस पेड़ के पास गया तो शेर उसको पकड़ लेगा। पर फिर भी वह अपने आप को नहीं रोक सका और केला तोड़ने के लिए आगे बढ़ा, जैसे ही बन्दर आगे बढ़ा, शेर ने जोर से दहाड़ कर उसे डरा दिया। बंदर निराश हो गया और वापस अपने पेड़ पर आ गया।
और यह सारा दृश्य बंदर की दोस्त बिल्ली दूर से देख रही थीं। उसने बंदर की असफल कोशिश देखी और उसकी मदद करने का फैसला किया।
बिल्ली बन्दर के पास गयी और उसको अपनी योजना बताई। बिल्ली ने सुझाव दिया कि वे शेर का ध्यान भटकाएगी और तुम जल्दी से उस पेड़ से कुछ केले ले लेना। कुछ ही देर में बिल्ली शेर के पास पहुँची और उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से म्यांऊ करने लगी।
जैसे ही शेर ने बिल्ली की ओर अपना सिर घुमाया, बन्दर चुपचाप केले के पेड़ पर चढ़ गया और एक-एक करके केले गिराने लगा , जिससे ऐसा लगे जैसे वे स्वाभाविक रूप से गिर रहे हों। बिल्ली की म्याऊं-म्याऊं से विचलित शेर का ध्यान उनकी चतुर चाल पर नहीं गया।
जैसे ही बन्दर ने आखिरी केला गिराया, शेर को एहसास हुआ कि ये क्या हो रहा है। वह गुस्से में दहाड़ता हुआ बिल्ली का पीछा करने लगा। बिल्ली तेजी से जंगल की ओर भागीं। बंदर पेड़ से नीचे आया और जल्दी से जितने हो सके उतने केले इकट्ठा करके वहां से भाग गया।
आख़िरकार, बिल्ली शेर का ध्यान भटकाने में कामयाब रहीं और बंदर के पास लौट आईं। वे दोनों शेर से कमजोर थे लेकिन फिर भी उससे जीत गए।
बंदर ने बिल्ली को उसकी बहादुरी और चतुराई के लिए धन्यवाद किया । उस दिन से, दोनों दोस्त पेड़ से लाये स्वादिष्ट केलो को एक-दूसरे में बाँटने लगे और हमेशा क्रोधी शेर पर नज़र रखने लगे।
कहानी की शिक्षा
बंदर और बिल्ली की कहानी हमें दोस्ती, टीम वर्क और चतुर सोच का महत्व सिखाती है। यह दर्शाता है कि जब हम एक साथ काम करते हैं और अपनी ताकत का उपयोग करते हैं, तो हम अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर कर सकते हैं।
डायनासोरो की दोस्ती की कहानी (Hindi Short Stories for Class 1)
एक समय की बात है, बहुत दूर किसी देश में, डायनासोरों का एक समूह था जो हरी-भरी घाटी में एक साथ रहते थे। इनमें रेक्स द टायरानोसॉरस, ट्रिसिया द ट्राइसेराटॉप्स और स्पाइक द स्टेगोसॉरस शामिल थे। वे सबसे अच्छे दोस्त थे और अपना पूरा दिन घाटी की खोज, खेल खेलने और महत्वपूर्ण सबक सीखने में बिताते थे।
एक दिन धूप में, जब वे एक चमकदार नदी के पास खेल रहे थे, उन्होंने देखा कि टिम्मी नाम का एक छोटा डायनासोर तेजी से बहते पानी को पार करने के लिए संघर्ष कर रहा था। एक पल की झिझक के बिना, रेक्स, ट्रिसिया और स्पाइक उसकी मदद के लिए दौड़ पड़े। एक साथ काम करते हुए, उन्होंने अपने मजबूत शरीर के साथ एक पुल बनाया, जिससे टिम्मी सुरक्षित रूप से दूसरी तरफ पार कर सके।
उनके टीम वर्क और दयालुता से प्रभावित होकर, टिम्मी ने उनका आभार व्यक्त किया और पूछा कि क्या वह उनके समूह में शामिल हो सकता हैं। प्रसन्न होकर, रेक्स, ट्रिसिया और स्पाइक ने खुली बांहों से उसका स्वागत किया। उस दिन के बाद से, उनकी टीम बहुत मज़बूत बन गयी।
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, डायनासोरों को घाटी में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्हें एक खतरनाक पहाड़ का सामना करना पड़ा जिस पर उन्हें चढ़ना था, और एक गहरी गुफा का पता लगाना था। हर बार, उन्होंने अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अपनी दोस्ती, एकता और दृढ़ संकल्प पर भरोसा किया।
एक दिन, घाटी में एक भयानक तूफ़ान आया, जिससे भयंकर बाढ़ आ गई। वहां पानी का स्तर तेजी से बढ़ गया और सभी डायनासोर एक छोटे से द्वीप पर फंस गए । जैसे ही वे एक साथ इकट्ठा हुए, रेक्स ने, सबसे बड़ा और मजबूत होने के नाते, एक योजना बनायीं । उसने सुझाव दिया कि वे एक-दूसरे की पूंछ पकड़कर एक श्रृंखला बनाएंगे, और एक सुरक्षित जगह तक पहुंच जायेंगे।
आख़िरकार, वे एक सुरक्षित स्थान पर पहुँच गए और बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम होने लगा।
सभी डायनासोर बहुत थक गए थे , परन्तु अब उनको टीम वर्क की अपार शक्ति का अहसास हो चूका था।
वे समझ गए कि एक-दूसरे की मदद करना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर जरूरत के समय में। उन्होंने हमेशा एक-दूसरे के लिए मौजूद रहने और जब भी किसी को जरूरत होगी मदद का हाथ बढ़ाने का वादा किया। उस दिन से, रेक्स, ट्रिसिया, स्पाइक और टिम्मी को “डिनो ड्रीम टीम” के रूप में जाना जाने लगा।
कहानी की शिक्षा
प्रिय कक्षा 1 के बच्चों, कहानी का सार यह है कि जब हम एक साथ काम करते हैं और एक-दूसरे का समर्थन करते हैं, तो हम किसी भी चुनौती पर काबू पा सकते हैं। डिनो ड्रीम टीम की तरह, हमें अपने दोस्तों की मदद करने और मुसीबत के समय में उनके साथ रहने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। याद रखें, एकता ही ताकत है और साथ मिलकर हम हर मुश्किल को आसान बना सकते हैं।
रंगीन अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी (Hindi Short Story for Class 1)
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में, एक बहुत ही खास मुर्गी रहती थी। यह मुर्गी कोई साधारण मुर्गी नहीं थी – उसमें रंगीन अंडे देने की अद्भुत क्षमता थी! इस अद्भुत मुर्गी की खबर तेजी से पूरे गांव में फैल गई, और हर कोई उसके रंगीन अंडों को देखने को उत्सुक था। यह बात गाँव के स्कूल तक पहुंच गई और पहली कक्षा के बच्चे इस अद्भुत मुर्गी के बारे में और अधिक जानने के लिए विशेष रूप से उत्साहित थे।
एक दिन सुबह, मुर्गी के मालिक, मोहन नाम के एक दयालु किसान ने मुर्गी को स्कूल में लाने का फैसला किया ताकि बच्चे उसे खुद देख सकें। जैसे ही मोहन मुर्गी को गोद में लेकर कक्षा में दाखिल हुआ, तो बच्चे बहुत खुश हो गए ।
मोहन ने धीरे से मुर्गी को कक्षा के बीच में एक रंगीन चटाई पर रख दिया। मुर्गी ख़ुशी से कुड़कुड़ाने लगी, बच्चे चारों ओर इकट्ठे हो गए, उनकी आँखें आश्चर्य से भर गईं।
और फिर, जादू की तरह, मुर्गी ने अपना पहला अंडा दिया। लेकिन ये कोई आम अंडा नहीं था. वह चमकीला नीला रंग था, बिलकुल गर्मियों के साफ़ आसमान की तरह। बच्चे आश्चर्य से देखने लगे, उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
मुर्गी का मालिक मुर्गी को रोज़ स्कूल ले जाता
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मुर्गी अलग-अलग रंग के अंडे देती रही। प्रत्येक नये रंग के अण्डे देखकर बच्चे बहुत खुश होते थे।
बच्चे यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते थे कि मुर्गी के अंडे अगले किस रंग के होंगे। वे हर सुबह मुर्गी के पास इकट्ठा होते थे और जादुई अंडे देने का इंतज़ार करते थे। जब भी कोई नया अंडा सामने आता तो वे खुशी से खिलखिलाते और ताली बजाते।
अंडे न केवल दिखने में शानदार थे, बल्कि उनका स्वाद भी स्वादिष्ट था। मोहन अंडे इकट्ठा करता था और उन्हें बच्चों के साथ बांटता था, जो दोपहर के भोजन के समय उन्हें खाते थे। अंडे न केवल बच्चों में उत्साह बल्कि एकता की भावना भी लेकर आए।
कहानी की शिक्षा
यह हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी, सबसे सामान्य चीजें भी सबसे असाधारण हो सकती हैं। यह हमें उस सुंदरता की सराहना करना सिखाता है जो सबसे सरल चीजों में पाई जा सकती है, जैसे कि रंगीन अंडे देने वाली मुर्गी।
पहली कक्षा के जिन बच्चों ने इस जादुई मुर्गी को देखा, वे बड़े होकर अपने बच्चों और पोते-पोतियों को उस अविश्वसनीय मुर्गी के बारे में बताने लगे जो उनके जीवन में रंग और खुशी लेकर आई।
चतुर खरगोश और शेर की कहानी (Short Moral Stories in Hindi for Class 1)
एक बार की बात है, हरे-भरे जंगल में, राजू नाम का एक चतुर छोटा खरगोश रहता था। वह अपनी तेजी से सोचने की क्षमता और चालाक रणनीतियों के लिए जाना जाता था।
राजू जंगल का सबसे ताकतवर या तेज़ जानवर नहीं था, लेकिन उसने अपनी बुद्धि और समझदारी से इसकी भरपाई कर ली। एक दिन, जब राजू इधर-उधर घूम रहा था, उसने देखा कि लियो नाम का एक भयंकर शेर उसकी ओर आ रहा था। लियो जंगल का राजा था और उससे सभी जानवर डरते थे। राजू जानता था कि अगर उसे शेर से बचना है तो उसे शेर को मात देनी होगी।
राजू ने तुरंत एक योजना बनाई। वह लियो के पास गया और मित्रवत मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया।
“शुभ दिन, महामहिम! मैंने आपकी ताकत और बहादुरी के बारे में बहुत कुछ सुना है,” राजू ने शेर की चापलूसी करने की कोशिश करते हुए कहा।
लियो, खरगोश की बातें सुनकर गर्वित महसूस करने लगा और बहुत प्रसन्न हो गया। उसने अपनी छाती फुलाकर उत्तर दिया, “धन्यवाद, छोटे खरगोश! मैं वास्तव में जंगल का सबसे मजबूत और बहादुर जानवर हूं।”
राजू ने शेर की ताकत से आश्चर्यचकित होने का नाटक किया और कहा, “हे महाराज, मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि आपको इतनी अद्भुत ताकत कैसे मिलती है। क्या कोई रहस्य है जिसे आप मेरे साथ साझा कर सकते हैं?”
खरगोश की जिज्ञासा से खुश होकर शेर ने शेखी बघारी, “ठीक है, छोटे खरगोश, मेरी ताकत उस पानी से आती है जो मैं जंगल के जादुई कुएं से पीता हूं। यह मुझे बेजोड़ शक्ति देता है और मुझे जंगल का राजा बनाता है।”
राजू की योजना सफल हो रही थी। उसने उत्सुकता दिखाते हुए कहा, “ओह, कितनी आकर्षक बात है ! क्या आप कृपया मुझे वह जादुई कुआँ दिखा सकते हैं, महामहिम?
अपनी ताकत दिखाने के लिए उत्सुक लियो, राजू को जादुई कुएं में ले जाने के लिए सहमत हो गया। वे दोनों उछलते-कूदते जंगल में चलते रहे, जब तक कि वे एक गहरे कुएँ तक नहीं पहुँच गए।
“यहाँ है, छोटा खरगोश,” लियो ने गर्व से कहा। “वह जादुई कुआँ जो मुझे ताकत देता है।”
राजू ने चकित होने का नाटक करते हुए कहा, “हे महाराज, यह सचमुच जादुई लग रहा है! क्या आप मेरे सामने इस शक्तिशाली पानी को पी कर दिखा सकते है ?”
बिना किसी हिचकिचाहट के, लियो कुएं पर झुक गया और काफी देर तक पानी पीया। लेकिन जैसे ही वह पानी पी रहा था, राजू तेजी से दूर चला गया और चिल्लाया, “जल्दी करो, महाराज! जादुई कुआँ ढह रहा है!”
चौंककर शेर ने ऊपर देखा और कुएं में दूसरे शेर का प्रतिबिंब देखा। यह सोचकर कि यह कोई दूसरा शेर उस पर हमला कर रहा है, लियो को गुस्सा आ गया और उस दूसरे शेर से लड़ने के लिए कुएं में कूद गया।
यह सारा दृश्य खरगोश दूर से देख रहा था और आखिरकार उसने जंगल के राजा को सफलतापूर्वक मूर्ख बना दिया और सभी जानवरो को उसके चंगुल से बचा लिया।
यह बात पुरे जंगल में फैल गयी और उस दिन से खरगोश जंगल का सबसे बुद्धिमान जानवर बन गया।
कहानी की शिक्षा
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हमेशा ताकत से नहीं दिमाग से भी काम लेना चाहिए।
खरगोश और कछुआ की दौड़ (The Hare and Tortoise Short Story)
एक बार एक खरगोश और कछुए के बीच दौड़ हुई । खरगोश बहुत तेज था और कछुआ बहुत धीमा था। सभी को यकीन था कि खरगोश दौड़ जीत जाएगा, लेकिन कछुए की एक योजना थी।
जैसे ही दौड़ शुरू हुई और खरगोश भाग गया, उसे विश्वास था कि वह आसानी से जीत जाएगा। वह इतना निश्चित था कि उसने बीच रास्ते में ब्रेक लिया और झपकी लेने के लिए रुक गया। दूसरी ओर, कछुआ धीरे – धीरे लेकिन लगातार चलता रहा।
कई घंटों बाद, जब खरगोश जागा तो उसने महसूस किया कि वह तो बहुत पीछे रह गया है । वह जल्दी से उठा और तेजी से कूद कूद कर भागा, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ पहले ही फिनिश लाइन पार कर चुका था।
दर्शकों ने कछुए की जय – जयकार की। वे चकित थे कि धीमी और स्थिर गति होने के बावजूत कछुआ ने तेजी से खरगोश को हरा दिया । खरगोश निराश हो गया था, लेकिन वह कछुए के दृढ़ संकल्प और दृढ़ता से भी बहुत प्रभावित था।
कहानी की शिक्षा
यह कहानी हम सभी के लिए एक सबक है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितनी तेजी से भाग रहे हैं; अगर हम चलते भी रहते हैं, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। तो अगली बार जब आपको यह लगे कि आप कुछ नहीं कर सकते हैं, तो खरगोश और कछुए की कहानी याद रखें और कभी हार न मानें!
कुत्ते का हड्डी के लिए लालच (Dog’s Greed for Bone Story)
एक बार एक कुत्ता खाने के लिए सड़क पर कुछ ढूंढ रहा था, अचानक उसकी नजर एक हड्डी पर पड़ी। हड्डी देखकर वो बहुत खुश हो गया और उसके पास गया। वह हड्डी बहुत रसेली थी तो कुत्ते ने फोरन उसको अपने मुह में दबा लिया और अपने घर की और चलने लगा।
रास्ते में एक नदी आई जो उसे पार करनी थी। जब वो नदी पार कर रहा था को उसे एक और कुत्ता अपने साथ चलता हुआ दिखाई दिया , जिसके मुह में भी हड्डी थी।
कुत्ते को यह देखकर लालच आ गया। उसने सोचा की अगर मैं उस दूसरे कुत्ते से वो हड्डी भी ले लू तो मेरे पास 2 हड्डी हो जाएगी।
उसने जैसे ही दूसरे कुत्ते की हड्डी पकडऩे के लिए अपना मुह खोला तो उसकी अपनी हड्डी नदी में गिर गई और बह गई। तब उसे समझ में आया कि वो दूसरा कुत्ता, उसका अपना दर्पण था जो पानी में उसे दिख रहा था। उस दिन वह कुत्ता दुखी हो गया और उसे उस दिन भूखे ही सोना पड़ा।
कहानी की शिक्षा
हमारे पास जो कुछ भी है हमें हमेशा उसी में खुश रहना चाहिए , अगर हम दुसरो को देख कर ईर्ष्या करते रहेंगे तो अभी जो हमारे पास है वो भी खो देंगे।
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