आज हम class २ के बच्चो के लिए short moral stories हिंदी में लेकर आए है। अगर आप यह कहानियां अपने बच्चो को सुनाते है तो उन्हें कुछ अच्छी सीख मिलेगी, जो उनके दिमाग को विकसित करने में मदद करेगी और उनके भविष्य के लिए उपयोगी होगी। तो चलिए शुरू करते है :
कक्षा 2 के बच्चो के लिए लघु नैतिक कहानियाँ | Class 2 Short Moral Stories in Hindi
Table of Contents
अंगूर खट्टे है – एक लोमड़ी की कहानी (Hindi Stories For Class 2)
एक बार की बात है, एक बहुत भूखी लोमड़ी चलते चलते एक सुंदर अंगूर के बगीचे में पहुंच गयी । उसने यहाँ वहां देखा और पाया की अंगूर का बाग स्वादिष्ट, पके अंगूरों के गुच्छों से भरा हुआ था, जिसे देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया।
लोमड़ी ने अंगूरों की ओर देखा और सोचा की क्यों न मैं यह सारे अंगूर खा लू। परन्तु अंगूर पेड़ो के ऊपर लटके हुए थे, जो लोमड़ी की पहुंच से बहुत दूर थे ।
लोमड़ी ने अंगूरों को अपने पंजों में पकड़ने की बहुत कोशिश की। उसने ऊंची ऊँची छलांग लगायी पर उसकी सभी कोशिशे बेकार गई। छलांग लगा लगा कर लोमड़ी बहुत थक गयी थी।
अंततः लोमड़ी को यह स्वीकार करना पड़ा कि वह अंगूरों तक नहीं पहुँच सकती। निराश और थका हुआ महसूस करते हुए, लोमड़ी ने हार मानने और कहीं और अपनी यात्रा जारी रखने का फैसला किया।
जैसे ही लोमड़ी वहां से चली गई, उसने मन ही मन सोचा, “वे अंगूर वैसे भी खट्टे होंगे। कौन इतना खट्टा खाना चाहेगा?”
टिड्डा और चींटी की कहानी (Short Story for Class 2)
एक बार की बात है, जंगल में धूप और गर्मी के दिनों में, एक टिड्डा रहता था। इस टिड्डे को गाना गाना और ढेर सारा भोजन खाना बहुत पसंद था। वह ख़ुशी-ख़ुशी इधर-उधर उछल-कूद करता था। एक दिन, जब वह दिल खोलकर गाना गा रहा था, तो उसने देखा कि चींटियों का एक समूह उसका भोजन ले जा रहा है।
उसे लगा की वे चीटियां अपने भविष्य के लिए खाना जमा कर रही है।
चींटियों की हरकतों से खुश होकर, टिड्डा हंसने लगा। टिड्डे को हस्ता देख चीटियां भी हसने लगी और उनमे से एक चींटी उसकी दोस्त बन गयी।
उत्सुकतावश, टिड्डा चीटियों के पास गया और उनसे बोलै “तुम सब इतने लालची क्यों हो? क्या तुम नहीं जानते कि यह एक ख़ुशी का अवसर है? मुझे तुम्हारे लिए खेद है!”
इस पर एक चींटी ने उत्तर दिया, “अरे, मेरे दोस्त, हम गर्मी के बाद आने वाली बरसात के मौसम के लिए भोजन इकट्ठा कर रहे हैं। जब आसमान में बादल छा जाएंगे और खुली धूप गायब हो जाएगी। तब हमारे लिए भोजन ढूंढना मुश्किल हो जाएगा।”
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, आख़िरकार बारिश का मौसम आ गया, जैसा कि चींटी ने भविष्यवाणी की थी। टिड्डे को जल्द ही भोजन ढूंढना चुनौतीपूर्ण लगने लगा। भुखमरी उनके लिए एक वास्तविक समस्या बन गई। हताश और भूखे होकर, उसने अपने दोस्त चीटियों से मदद मांगने का फैसला किया।
उसने चींटी का दरवाज़ा खटखटाया और विनती की, “चींटी बहन, कृपया मुझे कुछ खाने को दो। मुझे बहुत भूख लगी है।”
लेकिन चींटी ने यह याद करते हुए कि कैसे टिड्डे ने गर्मी के दिन आराम से, गाते हुए और भविष्य की तैयारी न करते हुए बिताए थे, मदद करने से इनकार कर दिया। उसने दृढ़ता से कहा, “गर्मी के दिनों में, जब आप आनंद ले रहे थे, मैं बरसात के मौसम के लिए बचत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी। अब, जाओ और कहीं और नृत्य करो। मैं तुम्हारे जैसे आलसी व्यक्ति को एक दाना भी नहीं दे सकती। ” इतना कहकर उसने झट से दरवाज़ा बंद कर दिया।
कहानी की शिक्षा
और इस प्रकार, टिड्डे ने एक मूल्यवान सबक सीखा। उसे एहसास हुआ कि भविष्य के लिए बचत करना और तैयारी करना बहुत जरुरी है। इस कहानी की सीख यह है कि आज की बचत कल काम आती है।
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